Sunday, April 8, 2007

बेज़बान हो गये है हम!!!

 



कुछ ना सुना मुझे दिल की बात,
मेरा दिल नहीं मेरे बस मे आज...
गमो की बदली से है ढका हुआ,
मेरा चाँद अभी है छुपा हुआ...
आज उदास उदास सी हर राह है
और रूठा हुआ सा मेरा खुदा है...

ये प्यार भी कितना अजीब है,
वो मेरी नज़र के इतने क़रीब है...
मगर समझ के भी है जो नासमझ,
कैसे दिल से मेरे वो गया उलझ...
वह चुप रहा, मैं भी चुप रही, 
दरमियाँ बिखरी फिर ख़ामोशी वही....

क्यों मज़बूरियाँ हमसे जीत गयी,
क्यों मुहब्बत की रुत्त बीत गयी ...
सब सवाल अधूरे से रह गये,
बस दो आँसू रुखसार पे बह गये... 
किसी को क्या कहे हम अपना ग़म,
सच ..... बेज़ुबान से हो गये है हम.....