Wednesday, April 4, 2007

खामोशी की आदत!!!

Lonely


 



मुझे इतनी भी सज़ा ना दे,
मेरे प्यार की इंतहा ना ले...
रुक जा ए चाँद थम जा ज़रा,
दो घड़ी मुझे भी निहार ले...
मैं टूट कर बिखर चली,
मेरी ख़ाक को यूँ हवा ना दे...



दो बोल तुझसे सुन सकूँ कभी,
मैं इंतज़ार मे सदा रही...
तू चल पड़ा मुझे छोड कर,
दीवार सी मैं खड़ी रही... 
सहम गयी हूँ बस इस बात से,
कहीं मुझको तू भुला ना दे...



ये क्या किया तूने ए दिल बता,
प्यार तूने क्यों किया भला...
कैसे कहे अब ये मेरी ज़ुबान,
इक बार तो मुझको गले लगा...
ख़ामोशी की ये आदत कही,
मुझे बेजुबान ही बना ना दे...